जमाने से कब के हम गुजर गये होते
जमाने से कब के हम गुजर गये होते,
ठोकर ना लगी होती तो बच गये होते,
बन्धे थे बस तेरी दोस्ती के धागे में,
वरना कब के मोतियों जैसे बिखर गये होते ।
ठोकर ना लगी होती तो बच गये होते,
बन्धे थे बस तेरी दोस्ती के धागे में,
वरना कब के मोतियों जैसे बिखर गये होते ।
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