हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,
अब और कोई जुल्म सताएगा क्या भला,
जुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,
अब और कोई जुल्म सताएगा क्या भला,
जुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
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