होठों पे दोस्ती का फसाना नहीं आता
होठों पे दोस्ती का फसाना नहीं आता,
साहिल पे समुद्र का खजा़ना नहीं आता,
उड़ने दो परिन्दो को खुली हवा में,
क्योंकि फिर लौटकर गुजरा जमाना नहीं आता।
साहिल पे समुद्र का खजा़ना नहीं आता,
उड़ने दो परिन्दो को खुली हवा में,
क्योंकि फिर लौटकर गुजरा जमाना नहीं आता।
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