यूँ पलकें बिछकर तेरा इंतजा़र करते हैं,
यूँ पलकें बिछकर तेरा इंतजा़र करते हैं,
यह वो गुनाह है जो हम बार-बार करते हैं,
रखकर हसरत की राह पर चिराग,
सुबह-शाम तुझसे मिलने की दुआ करते हैं।
यह वो गुनाह है जो हम बार-बार करते हैं,
रखकर हसरत की राह पर चिराग,
सुबह-शाम तुझसे मिलने की दुआ करते हैं।
Comments