आँखों के पर्दे भी नम हो गये हैं,

आँखों के पर्दे भी नम हो गये हैं,
बातों के सिलसिले भी कम हो गये हैं,
पता नहीं गलती किसकी है,
वक्त बुरा है या बुरे हम हो गये।

Comments

Anonymous said…
Nice

Popular posts from this blog

उम्मीदों के आगे टूट जाना अच्छा नहीं लगता