हर सुबह को साँझ में ढलते हुए देखा है

हर सुबह को साँझ में ढलते हुए देखा है,
पत्थरों को बर्फ सा गलता हुआ देखा है,
राम तो बनवास जाते अब नहीं दिखते,
पर सिया को आज भी जलते हुए देखा है।

Comments

Popular posts from this blog

उम्मीदों के आगे टूट जाना अच्छा नहीं लगता