रात की चाँदनी से माँगता हूँ सुखद सवेरा
रात की चाँदनी से माँगता हूँ सुखद सवेरा,
सूरज के तेज से माँगता हूँ मन का सवेरा,
दौलत-शोहरत से ताल्लुक नहीं है मेरा,
चाहिए हर पल अपनों का मुस्कुराता चेहरा।
सूरज के तेज से माँगता हूँ मन का सवेरा,
दौलत-शोहरत से ताल्लुक नहीं है मेरा,
चाहिए हर पल अपनों का मुस्कुराता चेहरा।
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