एक गुलाब की उदासी कह गई

 एक गुलाब की उदासी कह गई

कोई तोड़ हि लेगा खिल कर क्या करूंगा मैं,

उसके पास बात करने तक का वक़्त नहीं है

तो जनाब उससे मिलकर भी क्या करूंगा मैं।

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