पसंद आने पर भी इकरार नहीं करता मैं
पसंद आने पर भी इकरार नहीं करता मैं
अब किसी से सच में प्यार नहीं करता मैं,,
किसी के लिए घड़ी के कांटों को देखकर नहीं उस पर चल कर वक़ गुजारा है
लिहाज़ा अब किसी का इन्तजार नहीं करता मैं|
पसंद आने पर भी इकरार नहीं करता मैं
अब किसी से सच में प्यार नहीं करता मैं,,
किसी के लिए घड़ी के कांटों को देखकर नहीं उस पर चल कर वक़ गुजारा है
लिहाज़ा अब किसी का इन्तजार नहीं करता मैं|
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