तरकश में जितने तीर हैं तू चलाकर देखले

 तरकश में जितने तीर हैं तू चलाकर देखले 

एक बार नहीं हजार बार आजमाकर देखने,, 

हर बाजी जीत जाऊँगा मैं 

चाहे तू सतरंज के हर खाने में बजीर सजा कर देखने।। 

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