इस बार मेले में मजेदारी नहीं थी दोस्त वो लड़की अकेली थी पर कुंवारी नहीं थी दोस्त,, ये भी सच है वो सिर्फ मुझको देख रही थी ये भी दुख है कि अब हमारी नहीं थी दोस्त|
मैने कितने मंत्री देखे हैं सरकार बदलते हुऐ इक रकम के पीछे देखे हैं बफादार बदलते हुऐ,, मुझे मोहब्बत और नफ़रत में से कुछ भी अच्छा नहीं लगा मैने अपना यार देखा है दिलदार बदलते हुऐ|
निभाने वाले जनवरी की जलाई नहीं करते बेहतर लोग दुसरों की सिर्फ तबाही नहीं करते,, और जो हम पर हंसते हैं उनके मुॕंह पर तरक्की का तमाचा मारते हैं समझदार लोग कभी हाथापाई नहीं करते||
पसंद आने पर भी इकरार नहीं करता मैं अब किसी से सच में प्यार नहीं करता मैं,, किसी के लिए घड़ी के कांटों को देखकर नहीं उस पर चल कर वक़ गुजारा है लिहाज़ा अब किसी का इन्तजार नहीं करता मैं|
तुम्हे हम भी सताने पर उतर आये तो क्या होगा तुम्हारा दिल दुखाने पर उतर आये तो क्या होगा,, हमे बदनाम करते फिर रहे हो महफिल में अगर हम सच बताने पर उतर आये तो क्या होगा|